उम्मीद है केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा अस्थायी है, केंद्र जल्द राज्य का दर्जा बहाल करे: उमर

श्रीनगर. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बृहस्पतिवार को उम्मीद जताई कि जम्मू-कश्मीर का केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा अस्थायी है और केंद्र सरकार राज्य का दर्जा बहाल करने का वादा पूरा करेगी. उन्होंने कहा, “हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती अपना राज्य का दर्जा वापस पाना है. हम लोग अब उम्मीद कर रहे हैं कि हमसे किए गए वादे पूरे किए जाएंगे. सबसे बड़ा वादा राज्य का दर्जा बहाल करना है.”
अब्दुल्ला ने यहां शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में मीडियार्किमयों से बातचीत में कहा, “उच्चतम न्यायालय ने भी अपने फैसले में कहा था कि राज्य का दर्जा यथाशीघ्र बहाल किया जाना चाहिए. तब से एक वर्ष बीत चुका है और हमारा मानना ??है कि एक वर्ष काफी है.” उन्होंने अपनी दो महीने पुरानी सरकार के समक्ष मौजूद विभिन्न मुद्दों से जुड़े प्रश्नों के उत्तर दिए. केंद्र शासित प्रदेश की सरकार को उपराज्यपाल के साथ मिलकर काम करना होता है.
अब्दुल्ला ने कहा, “हमें सत्ता में आए दो महीने से थोड़ा अधिक समय हो गया है. हमें यह समझने में समय लगा कि केंद्र शासित प्रदेश सरकार कैसे काम करती है. हम पहले भी सरकार चला चुके हैं, लेकिन उस स्वरूप और वर्तमान स्वरूप में बहुत अंतर है.” केंद्र सरकार ने पांच अगस्त, 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करके जम्मू-कश्मीर राज्य को विभाजित करके दो केंद्र शासित प्रदेश बनाए थे. जम्मू-कश्मीर में सीमित शक्तियों वाली विधानसभा है, जबकि दूसरे केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में विधानसभा नहीं है.
दिसंबर 2023 में, उच्चतम न्यायालय ने विशेष दर्जा रद्द करने और दो केंद्र शासित प्रदेश बनाने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा था, लेकिन केंद्र सरकार से कहा था कि वह जल्द से जल्द जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करे. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद के अंदर और कई अन्य अवसरों पर कहा है कि उचित समय पर जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा.
अब्दुल्ला ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि नयी सरकार की शुरुआत “सुखद” रही है और उन्हें इसमें “ज्यादा परेशानी नहीं हुई.” अब्दुल्ला ने कहा, “हम अपने चुनावी वादों को लेकर प्रतिबद्ध हैं. हमने कुछ वादों को लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और अन्य वादों के लिए हमें व्यवस्था में बदलाव की जरूरत है. मुझे उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर का केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा अस्थायी है.” उन्होंने कहा कि यह समझना महत्वपूर्ण है कि उनकी पार्टी का घोषणापत्र पांच साल के कार्यकाल के लिए था, न कि पांच सप्ताह या पांच महीने के लिए.
नेकां नेता ने कहा, “कुछ मुद्दे हमारे लिए महत्वपूर्ण थे और हमने उनपर काम किया, जिसमें राज्य का दर्जा और विशेष दर्जे का प्रस्ताव शामिल है.” अब्दुल्ला ने कहा कि लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए उनकी आकांक्षाएं पूरी की जानी चाहिए. जब उनसे पूछा गया कि उनकी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे की बहाली के लिए अदालतों का रुख करने के बजाय नयी दिल्ली का रुख क्यों किया, तो अब्दुल्ला ने कहा कि इस मामले में कानूनी लड़ाई अंतिम विकल्प होनी चाहिए.
उन्होंने कहा, “अदालत जाना लड़ाई होगी. लड़ाई कभी भी पहला विकल्प नहीं होनी चाहिए, यह अंतिम विकल्प होना चाहिए. अगर उच्चतम न्यायालय ने राज्य के दर्जे की बहाली के बारे में बात नहीं कही होती, अगर प्रधानमंत्री और (केंद्रीय) गृह मंत्री ने इस बारे में बात नहीं की होती, तो हम अदालतों में जा सकते थे. उन्होंने वादे किए हैं और हमें पहले उन्हें एक मौका देना चाहिए.” अब्दुल्ला ने इन अटकलों को खारिज कर दिया कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर की सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रही है और नेशनल कांफ्रेंस भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल हो सकती है.
मुख्यमंत्री ने कहा, ”प्रधानमंत्री, गृह मंत्री या राजभवन की ओर से हम पर अपनी विचारधारा बदलने का कोई दबाव नहीं है. प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने मुझसे कहा है कि आपकी सरकार अस्थिर नहीं होगी और हम आपको वैसा ही सहयोग देंगे जैसा उपराज्यपाल को दिया गया है.” अब्दुल्ला ने कहा, “उन्होंने कहा है कि वे जनादेश का सम्मान करेंगे. जो लोग यह अफवाह फैला रहे हैं कि मैं अब राजग में शामिल हो जाऊंगा और मैंने अपनी विचारधारा बदल ली है, तो मैं इसमें कुछ नहीं कर सकता. मैं काम करने आया हूं और काम करूंगा.”