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कुमारस्वामी कांग्रेस सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी के आरोपों को साबित करें : सिद्धरमैया

दावणगेरे. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने केंद्रीय मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी द्वारा उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार और मंत्रियों पर कमीशनखोरी के लगाए आरोपों को सबूतों के साथ साबित करने की रविवार को चुनौती दी. मुख्यमंत्री ने कहा कि बिना दस्तावेजों और सबूतों के आरोप नहीं लगाए जाने चाहिए.

सिद्धरमैया ने यहां संवाददाताओं से कहा, ”उनसे यह साबित करने को कहिए कि 60 प्रतिशत कमीशनखोरी हो रही है और भ्रष्टाचार हो रहा है. उन्हें इसे साबित करने दीजिए. सिर्फ आरोप लगाना नहीं, बल्कि इसे साबित करना भी जरूरी है.” उन्होंने कहा कि विपक्ष का काम केवल आरोप लगाना नहीं है, बल्कि उन्हें सबूतों और दस्तावेजों के साथ इसे साबित भी करना चाहिए.

इससे पहले, जनता दल(सेक्युलर) नेता कुमारस्वामी ने मैसुरु में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधा और उस पर भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का आरोप लगाया. साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार के मंत्री भी इसमें शामिल हैं.

कुमारस्वामी ने कहा, ”उनके (कांग्रेस पार्टी के) समर्थक ठेकेदार खुद कह रहे हैं कि कमीशन 60 प्रतिशत को पार कर गया है और पिछली सरकार बेहतर थी… लूट पीडब्ल्यूडी या सिंचाई विभागों में हो रही है. अब तो आवास आवंटन के लिए भी पैसे देने पड़ते हैं….” कुमारस्वामी ने अधिकारियों और ठेकेदारों की आत्महत्या का मुद्दा उठाते हुए आरोप लगाया, ”पहले छोटे अधिकारी इसमें संलिप्त होते थे, लेकिन अब यह विधान सौध में हो रहा है. मंत्रियों को आवास आवंटित कराने के लिए भुगतान करना पड़ता है… हर विभाग में कमीशन का प्रतिशत तय है….” केंद्रीय मंत्री ने सिद्धरमैया से अपनी अंतरात्मा को जवाब देने को कहा. उन्होंने साथ ही मुख्यमंत्री के आसपास के लोगों पर राज्य और सार्वजनिक संसाधनों की लूट में लिप्त होने का आरोप लगाया.

कुमारस्वामी ने कहा, ”…आपको (मुख्यमंत्री को) इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी.” सिद्धरमैया ने इस वर्ष के बजट की प्राथमिकताओं पर पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि इसे मार्च में पेश किया जाएगा और जब वह बजट-पूर्व परामर्श बैठकें शुरू करेंगे, तब प्राथमिकताओं के बारे में बोलेंगे. वह राज्य का वित्त विभाग भी संभाल रहे हैं. बस किराए में हाल ही में हुई बढ़ोतरी पर सिद्धरमैया ने कहा कि कर्मचारियों के वेतन, डीजल की कीमतों में वृद्धि, नई बसों की खरीद की लागत और मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए सभी सरकारों के दौरान बस किराये में वृद्धि हुई है.

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