छत्तीसगढ़

बॉलीवुड गायक अंकित तिवारी ने बिखेरा सुरों का जादू, उनकी आशिकी में डूबे संगीत प्रेमी

छत्तीसगढ़ रजत महोत्सव में बॉलीवुड-छालीवुड से जुड़े गीत-संगीत की महफ़िल आज चौथे दिन भी सजी। सांस्कृतिक संध्या में बॉलीवुड के गायक अंकित तिवारी ने रामभजन गीतों से शुभारंभ कर फिल्मी गानों को अपने अंदाज में ऐसी साज छेड़ी कि उन्हें सुनने आए दर्शको-श्रोताओं ने वाहवाही करते हुए उनके लिए तालियां बजाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने जैसे ही मंच से सुन रहा है न…गलियां तेरी-गलियां.., ये दिल सम्हल जा जरा-फिर मोहब्बत करने चला..गाया..युवाओं में जोश-उमंग-उत्साह की झलक दिखाई देने लगी। गायक  अंकित की आशिकी में डूबे संगीत प्रेमियों ने कुर्सी से उठकर-अपना हाथ उठाकर-मोबाइल का फ़्लैश ऑन कर यह जताया कि वे उनके गीतों को सुनने और अंकित को देखने और मनोरंजन में सराबोर होने आए हैं। मंच पर छत्तीसगढ़ की पारम्परिक लोकसंगीत और आधुनिक गीतों का मनमोहक संगम भी  देखने को मिला। छत्तीसगढ़ की परंपरागत कला और आधुनिक संगीत का यह मेल दर्शकों के लिए अविस्मरणीय बन गया। लोक संगीत की सुमधुर प्रस्तुतियों और बॉलीवुड सुरों की झंकार ने दर्शकों को देर रात तक नाचने-गुनगुनाने और तालियां बजाने मजबूर किया।

कार्यक्रम की शुरुआत प्रसिद्ध लोकगायिका श्रीमती रेखा देवार की सुमधुर छत्तीसगढ़ी गीतों से हुई। उन्होंने “मया के बंधन”, “छत्तीसगढ़ मया के धरती” और “अरपा पैरी के धार” जैसे लोकप्रिय गीतों की प्रस्तुति दी। उनकी लोकगायन शैली में प्रदेश की संस्कृति, परंपरा और सादगी का सुंदर समावेश देखने को मिला। उन्होंने पारंपरिक विवाह गीत, ददरिया, फाग और पंथी गीतों की प्रस्तुति देकर दर्शकों को छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति से जोड़ दिया। मंच से कला केंद्र रायपुर बैंड के कलाकार राहुल ने अपनी टीम के साथ गीतों की प्रस्तुति दीं।

इसके पश्चात छालीवुड फिल्मों के सुपर स्टार श्री प्रकाश अवस्थी एवं उनकी टीम ने लोकप्रिय गीतों को गाकर दर्शको में ऊर्जा का संचार किया। उन्होंने लोकगीतों के माध्यम से प्रदेश की परंपरा, लोकजीवन और सांस्कृतिक समृद्धि का जीवंत चित्र प्रस्तुत किया और छत्तीसगढ़ महतारी के आराधना से जुड़े गीत, प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी फ़िल्म मोर छइयां-भुइयां, टूरा रिक्शा वाला..के साथ अन्य गानों की प्रस्तुति दीं।

सांस्कृतिक संध्या का मुख्य आकर्षण रहे बॉलीवुड पार्श्वगायक श्री अंकित तिवारी, जिन्होंने अपनी लोकप्रिय गीत प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। जैसे ही उन्होंने मंच से “सुन रहा है ना तू…” और “तेरी गलियां…” गीत प्रस्तुत किए, पूरा राज्योत्सव परिसर तालियों और उत्साह से गूंज उठा।

अंकित तिवारी ने “तेरे बिना जी ना लगे”, “तू है कि नहीं”, और “भूलना पाया” जैसे गीतों की प्रस्तुति से उपस्थित जनसमूह को भावनाओं और सुरों की दुनिया में डुबो दिया। उनकी मधुर आवाज़ और लाइव प्रस्तुति ने राज्योत्सव की चौथी शाम को अविस्मरणीय बना दिया।
राज्योत्सव की यह संध्या छत्तीसगढ़ की मिट्टी की सुगंध और बॉलीवुड की चमक का ऐसा मेल साबित हुई, जिसने दर्शकों को देर रात तक संगीत की लहरों में झूमने और गुनगुनाने पर मजबूर कर दिया। उन्हें सुनने दूर दराज से आए सभी युवा दर्शकों-श्रोताओं ने छत्तीसगढ़िया अंदाज में अपनी खुशियों को जाहिर किया।

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