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राष्ट्रीय स्मृति परिसर में प्रणब मुखर्जी का स्मारक बनेगा, शर्मिष्ठा ने प्रधानमंत्री का जताया आभार

नयी दिल्ली. केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्मृति क्षेत्र परिसर में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का एक स्मारक स्थापित करने का निर्णय लिया है. मुखर्जी का 31 अगस्त 2020 को निधन हो गया था. पूर्व राष्ट्रपति की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की और उनके (शर्मिष्ठा के) पिता को सम्मानित करने के लिए शुक्रिया अदा किया.

सरकार ने शर्मिष्ठा मुखर्जी को इस निर्णय की जानकारी देते हुए एक पत्र में कहा, ”सक्षम प्राधिकारी ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की समाधि बनाने के लिए राष्ट्रीय स्मृति परिसर (राजघाट क्षेत्र का एक हिस्सा) में एक निर्दष्टि स्थल को चिह्नित करने को मंजूरी दे दी है.” शर्मिष्ठा ने पीटीआई-भाषा से कहा कि वह खुश हैं कि सरकार ने उनके दिवंगत पिता और पूर्व राष्ट्रपति के राष्ट्र के प्रति योगदान को मान्यता दी है.

शर्मिष्ठा ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी से मुलाकात की और बाबा (प्रणब) के लिए स्मारक बनाने संबंधी उनकी (मोदी) सरकार के फैसले के लिए तहे दिल से शुक्रिया अदा किया और आभार जताया. यह इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमने इसके लिए कहा ही नहीं था.” शर्मिष्ठा ने प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात की तस्वीरें साझा करते हुए ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”प्रधानमंत्री के इस अप्रत्याशित, लेकिन वास्तव में उदार भाव से मैं बहुत अभिभूत हूं.”

उन्होंने कहा, ”बाबा कहा करते थे कि राजकीय सम्मान मांगा नहीं जाना चाहिए, बल्कि यह प्रदान किया जाना चाहिए. मैं बहुत आभारी हूं कि प्रधानमंत्री मोदी ने बाबा की स्मृति का सम्मान करने के लिए ऐसा किया.” उन्होंने सरकार द्वारा भेजे गए पत्र को साझा करते हुए कहा, ”इससे बाबा पर कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह अब कहां हैं – प्रशंसा या आलोचना से परे. लेकिन उनकी बेटी के लिए, मेरी खुशी को व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं.”

पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी का स्मारक बनाने जाने का निर्णय, कांग्रेस द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए एक स्मारक बनाने की मांग की पृष्ठभूमि में लिया गया है. सिंह का 26 दिसंबर को 92 वर्ष की आयु में एम्स में निधन हो गया था. सूत्रों ने कहा कि सरकार पहले ही सिंह के लिए एक स्मारक स्थापित करने पर सहमत हो गई है और उनके परिवार के परामर्श से उसी राष्ट्रीय स्मृति क्षेत्र में एक स्थल को अंतिम रूप दिया जा रहा है.

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