
रायपुर : शासकीय नागर्जुन स्नातकोत्तर विज्ञान महाविद्यालय रायपुर में 14 से 20 जनवरी 2025 तक हाइड्रोलॉजी तकनीक विषय पर सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जो प्राणीशास्त्र और वनस्पति शास्त्र विभाग के संयुक्त प्रयासों से सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई। कार्यशाला में देश-विदेश से कई प्रमुख विशेषज्ञों ने ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से अपने ज्ञान का आदान-प्रदान किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य जलीय निकायों के जल की परिस्थितिकी का मूल्यांकन, जलप्रबंधन और उपचार की नई तकनीकों के साथ-साथ जलीय जैवविविधता के पृथक्करण, पहचान और संरक्षण पर केंद्रित था।
कार्यशाला के प्रमुख सत्रों में जलीय जीवन और पर्यावरण के विविध पहलुओं पर महत्वपूर्ण चर्चाएं की गईं। मैक्सिको से डॉ. एस. एस. शर्मा ने जलीय जंतु रोटीफर के वर्गीकरण और उसकी पहचान के साथ-साथ शोधपत्र लेखन में सावधानी बरतने की विशेषताओं पर चर्चा की। वहीं, डॉ. नंदनी शर्मा ने जन्तुप्लवक के जैवसूचक के रूप में रोटिफेर्स प्रजाति की भूमिका, जैवविविधता और वैज्ञानिक लेखन विधि पर रोचक व्याख्यान दिया। डॉ. रेणुमहेश्वरी ने मछलियों के लक्षणों के आधार पर उनकी पहचान करने की विधियां साझा की।
इस कार्यशाला में छत्तीसगढ़ के गांवों और शहरों के तालाबों के माइक्रो और मैक्रोफाइटोप्लैंकटन के संग्रहण, पहचान और वर्गीकरण विधि पर डॉ. एम.एल. नायक ने प्रासंगिक जानकारी दी और उपस्थित युवाओं को आगे इस पर काम करने के लिए प्रेरित किया। डॉ. संजू सिन्हा ने जन्तुप्लवक के संग्रहण और सूक्ष्मदर्शी से अवलोकन की विधि से प्रतिभागियों को परिचित कराया। कार्यशाला में पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देते हुए, डंगनिया तालाब में पादप प्लवक के सैंपल संग्रह की प्रक्रिया का practical अनुभव भी लिया गया।
विश्वविद्यालय के छात्रों, शोधकर्ताओं और अध्यापकों के अलावा विशेषज्ञों ने जैवविविधता, जलीय जीवन, पर्यावरण संरक्षण और संबंधित शोध पर ध्यान केंद्रित किया। कार्यक्रम के समापन पर डॉ. अवधेश कुमार श्रीवास्तव, डॉ. सुमोना गुहा जैसे प्रमुख विशेषज्ञों ने जल संरक्षण की महत्वता और उपयोगिता पर अपने विचार साझा किए। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अमिताभ बैनर्जी ने कार्यशाला के उद्देश्यों को साधा और छात्रों से फीडबैक लेकर इसके लाभकारी पहलुओं पर चर्चा की।
यह कार्यशाला न केवल जलीय विज्ञान के शोधार्थियों और प्राध्यापकों के लिए एक जानकारीपूर्ण कार्यक्रम थी, बल्कि छात्रों और रिसर्च स्कॉलर्स के लिए एक बेशकीमती अनुभव भी था, जिसने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। कार्यशाला का आयोजन महाविद्यालय के प्राध्यापकों डॉ. प्रीति मिश्रा, डॉ. संगीता बाजपेयी, डॉ. एन. बी. सिंह, और अन्य सभी ने किया, जिनके सहयोग और प्रतिबद्धता से इस आयोजन ने सफलता प्राप्त की।